सट्टा मटका भारत का एक बहुत ही जाना-पहचाना लॉटरी खेल है। यह खेल पूरी तरह किस्मत यानी भाग्य पर टिका होता है। इसके नियम बहुत ही आसान होते हैं, इसलिए इसे बहुत लोग खेलते हैं।
इस लेख में हम आपको आसान शब्दों में बताएंगे कि सट्टा मटका क्या होता है और इसे कैसे खेला जाता है। अगर आप यह लेख ध्यान से पूरा पढ़ेंगे, तो आपको इसे समझने और खेलने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
हम आपको इसके कुछ आसान नियम और जीतने के आसान टिप्स भी बताएँगे, जिससे आपको खेलते समय मदद मिलेगी। लेकिन उसके लिए आपको लेख से अंत तक बने रहना होगा।
क्या है सट्टा मटका ?
सट्टा मटका एक तरह का सट्टा खेल है, जिसे लोग ‘बेटिंग का राजा’ भी कहते हैं। यह भारत में बहुत ज्यादा खेला जाता है। इस खेल में काफी खतरा होता है, लेकिन अगर किस्मत साथ दे तो इसमें बहुत फायदा भी हो सकता है। इसी वजह से यह लोगों में इतना फेमस है।
इस खेल में खिलाड़ी तीन नंबर चुनता है। उन नंबरों को जोड़ने के बाद जो कुल योग आता है, उसका आखिरी अंक लिया जाता है। जैसे अगर नंबर हैं 3, 6 और 8 तो इनका योग होता है 17 और आखिरी अंक होगा 7। इसी तरह से खेल का नतीजा तय होता है।
सट्टा मटका खेलने वाले लोग अलग-अलग शहरों और इलाकों से जुड़े होते हैं और कई लोग इसे अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा मानते हैं। यह कुछ जगहों पर सामाजिक गतिविधि भी बन गया है।
सट्टा मटका का इतिहास
सट्टा मटका एक नंबरों पर आधारित खेल है जो पूरी तरह किस्मत और संयोग पर चलता है। इसमें खिलाड़ी 0 से 9 तक के नंबरों पर दांव लगाते हैं और रिजल्ट के अनुसार जीत या हार तय होती है। इस खेल की शुरुआत 1960 के आसपास हुई थी, जब लोग न्यूयॉर्क से मुंबई आने वाली कॉटन की कीमतों पर दांव लगाया करते थे। धीरे-धीरे यह खेल बदलता गया और अब यह नंबरों के गेम की तरह खेला जाता है।
आज के समय में सट्टा मटका भारत में बहुत मशहूर है। इसके आसान नियम और लॉटरी जैसा तरीका आम लोगों को खूब पसंद आता है। लोग इसे खेलकर अपनी किस्मत आजमाते हैं। और जिसकी किस्मत चमकी उसके पास पैसा ही पैसा होगा।
कैसे काम करता है सट्टा मटका ?
सट्टा मटका खेल में खिलाड़ी 0 से 9 तक की तीन संख्याएँ चुनते हैं। इन तीनों नंबरों को जोड़कर जो कुल योग आता है, उसका आखिरी अंक लिया जाता है। जैसे अगर नंबर हैं 3, 6 और 8, तो इनका योग होगा 17, और अंतिम अंक होगा 7। इस तरह पहला सेट बनेगा 3, 6, 8 *7।
इसी तरह एक और सेट तैयार किया जाता है, जैसे 2, 4, 9 और उसका योग 15 होने पर आखिरी अंक होगा 5, तो सेट बनेगा 2, 4, 9 5। दोनों सेट को मिलाकर फाइनल नंबर बनता है जैसे 3, 6, 87 X 2, 4, 9*5। खिलाड़ी इन नंबरों पर दांव लगाते हैं और रिजल्ट आने पर तय होता है कि किसकी जीत हुई और किसकी हार।
इतिहास को विस्तार से समझें
सट्टा मटका का इतिहास छोटा नहीं है बल्कि इसे आपको भी समझना चाहिए क्योकि तभी आप इस गेम के बारे में आसानी से जान पायेंगे :
इसकी जड़ें 1960 के दशक से जुड़ी हुई हैं
सट्टा मटका की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी, जब व्यापारी न्यूयॉर्क से बॉम्बे भेजी जाने वाली कपास की कीमतों पर दांव लगाते थे। यह खेल पूरी तरह किस्मत पर आधारित था और लोग कीमत बढ़ेगी या घटेगी, इस पर सट्टा लगाते थे।
शुरुआत में यह खेल सिर्फ व्यापारियों तक सीमित था, लेकिन धीरे-धीरे आम लोगों ने भी इसमें दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया और यह खेल पूरे देश में फैल गया।
कैसे मुंबई बना सट्टा मटका का केंद्र?
धीरे-धीरे यह खेल मुंबई (उस समय बॉम्बे) में मशहूर होने लगा। पहले कपास की कीमतों पर दांव लगाया जाता था, लेकिन समय के साथ यह तरीका बदल गया और अब यह नंबरों पर आधारित खेल बन गया।
इसके आसान नियम और कम पैसे लगाकर ज़्यादा जीतने की उम्मीद ने इसे खासकर मुंबई के मजदूर वर्ग और झुग्गी इलाकों में बहुत लोकप्रिय बना दिया। यहीं से यह खेल धीरे-धीरे पूरे भारत में फैल गया और लोगों की पसंद बन गया।
आखरी विचार
संभवतः आपको सट्टा मटका के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से इस लेख के माध्यम से मिल चुकी होगी। यहाँ हमने इसके इतिहास से लेकर सबकुछ बताया हुआ है। साथ ही आपको बता दे कि अगर आप ऐसे और गेम्स के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए Yolo247 (योलो247) के ब्लॉग्स पढ़ सकते हैं। जहा आपको आसान भाषा में जानकारी दी जाएगी।
सामान्य प्रश्न :
सट्टा मटका किस शहर में सबसे पहले लोकप्रिय हुआ?
मुंबई (तब बॉम्बे) में यह सबसे पहले लोकप्रिय हुआ, जहाँ से यह पूरे भारत में फैला।
क्या सट्टा मटका एक सामाजिक गतिविधि बन चुका है?
कुछ जगहों पर हाँ, लोग इसे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा मानते हैं और आपस में खेलते हैं।